इलाहाबाद हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला!!
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इलाहाबाद हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला!!
इलाहाबाद उच्च न्यायालय कोर्ट ने कहा कि पोकर यानि ताश का खेल और रमी जुआ नहीं हैं!!
HC कोर्ट ने इसे कौशल का खेल बताया है!!
मेसर्स डीएम गेमिंग प्राइवेट लिमिटेड ने संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत याचिका दाखिल की थी!!
याचिका में डीसीपी सिटी पुलिस कमिश्नरेट आगरा के 24 जनवरी 2024 के आदेश को चुनौती दी गई थी, इस आदेश में पोकर एवं रमी के लिए गेमिंग इकाई संचालित करने की अनुमति देने से इंकार कर दिया गया था!!
तर्क दिया गया कि अनुमति देने से इंकार करना केवल इस अनुमान पर आधारित था!!
कि ऐसे खेलों से शांति और सद्भाव में बाधा उत्पन्न हो सकती है- या उन्हें जुआ माना जा सकता है!!
सुप्रीम कोर्ट के फैसले व हाईकोर्ट के अन्य आदेशों का हवाला देते हुए कहा गया, कि पोकर और रमी कौशल के खेल हैं न कि जुआ!!
हाईकोर्ट के समक्ष प्राथमिक कानूनी मुद्दा यह था कि पोकर और रमी को जुआ गतिविधियों के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है, या इसे कौशल खेल के रूप में मान्यता दी जा सकती है!!
डिवीजन बेंच ने इस बात पर जोर दिया कि अधिकारियों को इस मुद्दे की गहन जांच करनी चाहिए!!
केवल अनुमान के आधार पर अनुमति देने से इंकार नहीं करना चाहिए, कोर्ट ने कहा कि केवल संबंधित अधिकारी की दूरदर्शिता के आधार पर अनुमति देने से इंकार करना ऐसा आधार नहीं हो सकता जिसे बनाए रखा जा सके!!
मनोरंजक गेमिंग गतिविधियों की अनुमति देने से इंकार करने के लिए अधिकारी द्वारा ठोस तथ्य रिकॉर्ड पर लाने की आवश्यकता होती है!!
पोकर और रमी की गेमिंग इकाई चलाने की अनुमति देने से अधिकारियों को अवैध जुआ गतिविधियों के लिए परिसर की निगरानी करने से नहीं रोका जा सकता है!!
कोर्ट ने संबंधित प्राधिकरण को इस मामले में फिर से विचार करने का निर्देश दिया है!!
कहा कि प्राधिकरण निर्णय की तिथि से छह सप्ताह के भीतर याची को सुनवाई का अवसर प्रदान करने के बाद तर्कसंगत आदेश करे- जस्टिस शेखर बी सराफ और जस्टिस मंजीव शुक्ल की डिवीजन बेंच ने दिया आदेश!!
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