मिर्जापुर के खलील अहमद को मिलेगा पद्मश्री।
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मिर्जापुर के खलील अहमद को मिलेगा पद्मश्री।
उनकी बनाई दरी PM नरेंद्र मोदी ने जापान के पीएम को किया था भेंट।
मिर्जापुर की विरासत को सहेज कर रखने के लिए जिले के दरी निर्माता खलील अहमद को पद्मश्री सम्मान के लिए चयनित किया गया है। नगर के बाग कुंजल गीर इमामबाड़ा के रहने वाले खलील आधुनिकता की दौड़ में मशीन के बजाय हाथ से दरी की बुनाई कराते हैं। जापान यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान के पीएम शिंजो आबे को मिर्जापुरी दरी भेंट किया था। जिसका निर्माण खलील अहमद ने किया था।
मीडिया से खास बातचीत में खलील अहमद ने कहा कि पुश्तैनी धंधे से जुड़ा रहने के कारण उन्हें ही नहीं उनके खानदान को यह सम्मान नसीब हुआ है। बताया कि ऑर्डर अधिक और कारीगर कम होने से कभी कभार दिक्कतें आती हैं। कारीगरों की तलाश के लिए भटकना पड़ता है। भाग-दौड़ करके काम पूरा कराया जाता है।
खलील अहमद को इसके पूर्व भी कई मंचों पर सम्मानित किया गया है। उत्तर प्रदेश इंस्टिट्यूट ऑफ डिजाइन 2018, उत्तर प्रदेश दिवस 2018 में पंजा दरी के क्षेत्र में तत्कालीन राज्यपाल श्रीराम नाईक और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 24 जनवरी 2018 को सम्मानित किया था। एक जनपद एक उत्पाद के साथ ही इन्हें 2022 में कलाश्री पुरस्कार से भी नवाजा गया है।
कई पीढ़ी से हाथ से जुड़े काम में लगे खलील अहमद ने बताया कि उनके पिता वली मोहम्मद और बाबा गफूर अहमद हैंडमेड दरी के कारोबार से जुड़े रहे हैं। यह उनका खानदानी व्यापार है। अब बेटा इस्तिखार अहमद काम में हांथ बंटा रहा है। कहा कि यह सम्मान अपने पुश्तैनी धंधे से जुड़े लोगों का सम्मान है। हस्तशिल्प के कारीगरों का सम्मान है। 75 वर्षीय खलील तीन पीढ़ियों से इस कला से न केवल जुड़े हैं बल्कि इसे समृद्ध बना रहे हैं। खलील को 2000 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने नेशनल अवार्ड से नवाजा था।
2007 में वस्त्र मंत्रालय ने मोहम्मद खलील को सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार शिल्प गुरु से पुरस्कृत किया था इनका पूरा परिवार दरी के कारोबार से जुड़ा है और परिवार को इस कारोबार से जुड़ने का गौरव भी है।
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