देश में इस समय उपमुख्यमंत्रियों की भरमार है।
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देश में इस समय उपमुख्यमंत्रियों की भरमार है।
इस समय देश में 26 उपमुख्यमंत्री हैं।
आंध्र प्रदेश में सबसे अधिक पांच उपमुख्यमंत्री हैं।
यूपी,महाराष्ट्र,बिहार,मध्य प्रदेश,छत्तीसगढ़,राजस्थान,मेघालय, नागालैंड में दो-दो तो वहीं हरियाणा,कर्नाटक,हिमाचल प्रदेश,तेलंगाना और अरुणाचल प्रदेश में एक-एक उपमुख्यमंत्री हैं।
दिलचस्प बात है कि संविधान में उपमुख्यमंत्री पद का प्रावधान नहीं है। उप प्रधानमंत्री पद का भी नहीं।
यह पद राजनीतिक दलों ने अपनी सुविधा के हिसाब से और राजनीतिक समीकरणों को साधने के लिए बना लिया।
केंद्रीकृत व्यवस्था में जब सत्ता के सारे सूत्र मुख्यमंत्रियों के हाथों में हों,उपमुख्यमंत्रियों के पास करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं होता।
वे मुख्यमंत्री और बाकी मंत्रियों के बीच त्रिशंकु की तरह लटके होते हैं।
कुछ को थोड़ा-बहुत काम मिल जाता है।परंतु कोशिश यही होती है कि उन्हें अधिक शक्तियां न दी जाएं।
यह बहस होनी चाहिए कि उपमुख्यमंत्री पद की क्या आवश्यकता है और अगर वाकई यह बहुत आवश्यक पद है तो फिर संविधान में इसकी औपचारिक व्यवस्था क्यों नहीं कर दी जाती ?
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